Baba Vanga Prediction : क्या बाबा वेंगा की तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी सच होगी? भारत किसका पक्ष लेगा? क्या वह युद्ध में शामिल होगा?

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यूरोप के तीन छोटे देश, जिन्हें बाल्टिक देश कहा जाता है। इनका कुल क्षेत्रफल भारत के बड़े राज्य जितना बड़ा होगा। एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया देश हमेशा चर्चा में रहते हैं। भौगोलिक दृष्टि से ये देश रूस के करीब हैं। राजनीतिक दृष्टि से ये देश उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के करीब हैं। तीनों देश नाटो के सदस्य हैं। इन देशों को संभावित तीसरे विश्व युद्ध का केंद्र माना जाता है। प्रसिद्ध भविष्यवक्ता बाबा वेंगा ने तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी की है। दावा किया गया है कि अमेरिका समेत नाटो देश और रूस, चीन, उत्तर कोरिया, तुर्की और ईरान समेत एक और समूह आपस में भिड़ेंगे। इन दोनों समूहों में भारत की क्या भूमिका होगी? भारत किस समूह में होगा?

नाटो पर हमला हुआ तो तीसरा विश्व युद्ध

एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर बाल्टिक देशों पर हमला हुआ तो तीसरा विश्व युद्ध छिड़ जाएगा। फिलहाल अमेरिका ईरान-इजराइल युद्ध में कूद पड़ा है। रूस और चीन ने अमेरिका की भूमिका का कड़ा विरोध किया है। अगर रूस, तुर्की और चीन इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाते हैं तो कुछ बड़ा हो सकता है। नाटो एक सैन्य गठबंधन है। इसका मतलब यह है कि अगर नाटो के किसी सदस्य देश पर हमला होता है तो यूरोप और अमेरिका समेत सभी सदस्य देश मोर्चा खोल देंगे।

रूस-यूक्रेन युद्ध का असर बाल्टिक देशों एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया पर भी पड़ रहा है, जो नाटो के सदस्य हैं। रूस और यूक्रेन के बेहद करीब होने की वजह से ये देश बेचैन हैं। अगर गलती से भी रूस से एक मिसाइल इस देश में चली गई तो इससे बड़ा युद्ध छिड़ सकता है। इस बात का डर है कि इस छोटे से देश से तीसरा सबसे बड़ा विश्व युद्ध छिड़ सकता है।

भारत की भूमिका क्या है?

भारत के लिए बाल्टिक देश यूरोप का प्रवेश द्वार हैं। 1921 में तत्कालीन ब्रिटिश शासित भारत ने बाल्टिक देशों को मान्यता दी थी। 2008 में लिथुआनिया ने पहली बार भारत में अपना दूतावास खोला। उसके बाद दूसरे देशों ने भी ऐसा ही किया। अब भारत ने इन देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित कर लिए हैं। अगर तीसरा विश्व युद्ध होता है तो एक समूह अमेरिका और यूरोपीय देश होंगे, जबकि दूसरे समूह में रूस, चीन, उत्तर कोरिया, ईरान, तुर्की, क्यूबा, ​​सीरिया और वेनेजुएला शामिल होंगे। जबकि भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका युद्ध में भाग नहीं लेंगे। वे किसी भी समूह में नहीं होंगे। रक्षा विशेषज्ञों का अनुमान है कि ये देश शांति वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।