Maha Kumbh 2025: अघोरी के शव को न जलाते हैं और न हीं दफनाते हैं, 40 दिनों तक चलती रहती हैं यह प्रक्रिया, देख ले तो घबरा जाएंगे आप भी
- byShiv
- 16 Jan, 2025

इंटरनेट डेस्क। संगम के तट पर महाकुंभ 2025 का आयोजन हो रहा हैं, श्रद्धालु बड़ी संख्या में घाटों पर पहुंच रहे और स्नान कर रहे है। इसके साथ ही महाकुंभ में अघोरी बाबा और नागा साधुओं की भी खूब भरमार है। ऐसे में अघोरियों के जीवन और रहस्यमय परंपराओं को लेकर लोगों में जिज्ञासा रहती है, ऐसे में आज इनके बारे में जानने की कोशिश करेंगे। उसी तरह उनके मरने के बाद भी अंतिम संस्कार बेहद रहस्यमी तरीके से होता है। इन्हें न तो जलाया जाता है न हीं दफनाया जाता है, आइए जानते हैं कि अघोरी के मरने के बाद इनके शव के साथ क्या किया जाता है?
40 दिन तक चलती है प्रक्रिया
अघोरी साधु की मृत्यु के बाद उनका शव जलाया नहीं जाता। शव को चौकड़ी में उलटा रखा जाता है, सिर नीचे और पैर ऊपर रखें जाते है। सवा माह तक शव में कीड़े पड़ने का इंतजार होता है। इसके बाद मुंडी को छोड़ बाकी शरीर को गंगा में बहा दिया जाता है। मुंडी की 40 दिन की विशेष क्रिया होती है, जिसमें शराब डाली जाती है। कहा जाता है कि साधना के प्रभाव से मुंडी उछलने लगती है, आवाज देती है और शराब मांगती है।
क्यों गंगा में बहा देते हैं लाश?
अघोरी की मृत्यु पर उनका अंतिम संस्कार नहीं किया जाता, बल्कि लाश को गंगा में बहा दिया जाता है। यह माना जाता है कि इससे उनके सभी पाप धुल जाते हैं। जो बातें आम लोगों को अजीब और वीभत्स लगती हैं, वे अघोरियों के जीवन और उनकी साधना का अभिन्न हिस्सा होती हैं। अघोरी हर इंसान को समान मानते हैं और गंदगी व अच्छाई में भेद नहीं करते। उनका तर्क है कि जैसे अबोध बच्चे को गंदगी और भोजन में अंतर नहीं समझ आता, वैसे ही वे सब कुछ समान दृष्टि से देखते हैं।
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