Maha Kumbh 2025: नागा साधु बनने के लिए गुजरना होता हैं इन तीन प्रक्रियाओं से, जननांग की खींच ली जाती हैं नस
- byShiv
- 16 Jan, 2025

इंटरनेट डेस्क। महाकुंभ में आपको लाखों करोड़ों की संख्या में नागा साधु दिखाई दे रहे होंगे। लेकिन क्या आपको पता हैं कि ये नागा साधु ऐसे ही नहीं बन जाते हैं, इसके पीछे बहुत बड़ा त्याग तप और सम्पर्ण है। नागा बनने के लिए तीन बेहद कठिन प्रक्रिया से गुजरना होता है। इस पूरी प्रक्रिया के तीन मुख्य चरण होते हैं, महापुरुष, अवधूत और दिगंबर, इसके अलावा, एक प्रारंभिक परख अवधि भी होती है। पहले चरण में इच्छुक व्यक्ति को अखाड़े में आवेदन करने पर उसे परखने के लिए घरवालों से जानकारी ली जाती है, इसके बाद उसका क्रिमिनल रिकॉर्ड चेक किया जाता है. अगर वह इस प्रक्रिया में खरा उतरता है, तो उसे एक गुरु बनाना पड़ता है और कुछ वर्षों तक सेवा करनी होती है, इस दौरान, उसे अपने शरीर की इच्छाओं पर नियंत्रण, घर-परिवार से दूर और साधना में लगने की परीक्षा दी जाती है।
पहले चरण में मिलती हैं यह उपाधि
मीडिया रिपोटर्स की माने तो महापुरुष बनने के बाद, उम्मीदवार को संन्यास जीवन की प्रतिज्ञा दी जाती है और पंच संस्कार की प्रक्रिया के तहत शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश को गुरु मानकर उसे भगवा वस्त्र, नारियल, रुद्राक्ष और अन्य आभूषण दिए जाते हैं, इसके बाद गुरु शिष्य की चोटी काटकर उसे महापुरुष की उपाधि देते हैं।
नागा बनने का दूसरा चरण
दूसरा चरण जिसे अवधूत कहा जाता है, महापुरुष को नदी में स्नान कराकर पुराने कपड़े त्यागने और नए कपड़े धारण करने का आदेश दिया जाता है, इसके बाद, उसे पिंडदान की प्रक्रिया से गुजरना होता है, जिसमें उसे 17 पिंडदान करने होते हैं - 16 अपने पूर्वजों के और 17वां स्वयं का, इस प्रक्रिया के बाद वह सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है और अवधूत के रूप मे आ जाता है।
खींच ली जाती है नस
तीसरे और अंतिम चरण में, जिसे दिगंबर कहा जाता है, महापुरुष को 24 घंटे उपवास रखना होता है और उसके बाद उसकी जननांग की नस खींची जाती है, जिससे वह नपुंसक बन जाता है, इसके बाद वह शाही स्नान के दौरान नागा साधु के रूप में प्रतिष्ठित होता है। इस पूरी प्रक्रिया में कई कठिन संस्कार होते हैं, जिन्हें एक बड़ा साधु ही पूरा कर सकता है।
pc- hindustan