केंद्र ने कक्षा 5 और 8 के लिए 'नो डिटेंशन' नीति को खत्म कर दिया है

शिक्षा मंत्रालय ने 16 दिसंबर को 'बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) नियम, 2024' नामक गजट अधिसूचना जारी की। इसमें कहा गया है कि अगर कोई छात्र नियमित परीक्षा में कक्षा 5 या 8 में प्रमोशन के मानदंड पूरे नहीं करता, तो उसे पीछे रखा जा सकता है। साथ ही, ऐसे छात्रों के लिए सीखने की कमी को पूरा करने हेतु सुधारात्मक उपायों पर जोर दिया गया है।

केंद्रिय विद्यालयों में स्टाफ की कमी का असर
हालांकि, 2009 में बने शिक्षा का अधिकार अधिनियम को 2019 में संशोधित कर 'नो डिटेंशन' नीति को हटाया गया था, लेकिन नियम अब अधिसूचित किए गए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत हम राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की प्रतीक्षा कर रहे थे, जिसे 2023 में प्रकाशित किया गया।

सभी विकल्प समाप्त होने के बाद, अगर छात्रों को रोकने की आवश्यकता हो, तो उन्हें रोका जाएगा। लेकिन, किसी भी छात्र को कक्षा 8 तक स्कूल से निकाला नहीं जाएगा।

पुनर्परीक्षा के प्रावधान
नियमों के अनुसार, जो छात्र प्रमोशन के मानदंड पूरे नहीं करते, उन्हें परिणाम की घोषणा के दो महीने के भीतर अतिरिक्त शिक्षण और पुनर्परीक्षा का मौका दिया जाएगा। अगर वे इसे भी पास नहीं करते, तो उन्हें रोक दिया जाएगा।

ऐसे छात्रों के लिए कक्षा शिक्षक और माता-पिता को विशेष सहायता प्रदान की जाएगी और छात्रों की सीखने की कमी की पहचान कर उचित कदम उठाए जाएंगे।

समग्र विकास पर जोर
शिक्षा मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि परीक्षाएं और पुनर्परीक्षाएं योग्यता-आधारित होंगी ताकि छात्रों का समग्र विकास हो सके, न कि सिर्फ रटने और प्रक्रियात्मक कौशल पर निर्भर।

यह अधिसूचना केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और सैनिक स्कूल समेत 3,000 से अधिक केंद्रीय विद्यालयों पर लागू होगी। हालांकि, राज्यों के पास यह निर्णय लेने का अधिकार है कि वे 'नो डिटेंशन' नीति को रखें या हटाएं। वर्तमान में, 16 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों में यह नीति लागू है।

 

 

 

 

 

 

PC- THE HINDU 

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