Rambhadracharya: प्रेमानंद जी को चुनौती देने वाले रामभद्राचार्य कितने हैं पढ़े लिखे और कितनी भाषाओं का हैं ज्ञान

इंटरनेट डेस्क। रामभद्राचार्य जी का नाम तो आपने सुना ही होगा, हाल ही में वे खूब चर्चा में है और कारण हैं उनकी प्रेमानंद महाराज को दी गई चुनौती। आइए जानते हैं कि आखिर रामभद्राचार्य कौन हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई कैसी है और उन्हें कितनी भाषाओं का ज्ञान है। रामभद्राचार्य का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था, बचपन से ही उनका रुझान धर्म और शास्त्रों की ओर था, दृष्टिहीन होने के बावजूद उनकी गिनती आज देश के विद्वान संतों में होती है।

कितनी की हैं पढ़ाई लिखाई
रामभद्राचार्य ने पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र में मिसाल कायम की है, उन्होंने संस्कृत, वेद, उपनिषद, पुराण और रामायण जैसे ग्रंथों का गहरा अध्ययन किया है। उन्हें वेदांताचार्य, कवि और वक्ता के रूप में भी जाना जाता है। रामभद्राचार्य ने पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र में मिसाल कायम की. उन्होंने संस्कृत, वेद, उपनिषद, पुराण और रामायण जैसे ग्रंथों का गहरा अध्ययन किया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से पढ़ाई की है,  1974 में शास्त्री (बीए) की अंतिम परीक्षा में उन्होंने टॉप किया और इसके बाद आचार्य (एमए) की पढ़ाई भी इसी विश्वविद्यालय से शुरू कर दी, मास्टर्स के बाद उन्होंने पीएचडी भी की। रामभद्राचार्य को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से वाचस्पति (डी.लिट.) की उपाधि दी है।

कितनी भाषा जानते हैं
रामभद्राचार्य न सिर्फ एक धार्मिक विद्वान हैं बल्कि एक भाषाविद भी है, उन्हें हिंदी और संस्कृत के अलावा कई अन्य भाषाओं का गहरा ज्ञान है, बताया जाता है कि वे करीब 22 भाषाओं को जानते हैं, इनमें हिंदी, संस्कृत, उर्दू, अवधी, ब्रजभाषा, मैथिली, अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाएं शामिल हैं।

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