सावन में शिवलिंग पूजा से मिलेगा अपार धन-सुख! जानें पूरी पूजन सामग्री और किस शिवलिंग की पूजा है सर्वश्रेष्ठ

जयपुर: श्रावण मास यानि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है। कहते हैं कि इस पवित्र महीने में भोलेनाथ की आराधना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और साधक के जीवन से दुख-दरिद्रता, रोग-भय और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। इस साल 2025 में सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है और पूरे महीने भक्त शिवलिंग का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और विशेष पूजन कर महादेव का आशीर्वाद पाने के लिए उमड़ेंगे।

भारत में काशी से लेकर केदारनाथ और छोटे-बड़े हर शिव मंदिर में सावन में भक्तों की भीड़ लग जाती है। विशेषकर सोमवार को शिवालयों में जल, दूध, बेलपत्र और धतूरा चढ़ाने वालों की कतारें सुबह से ही लग जाती हैं। काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, सावन में कुछ विशेष पूजन सामग्री का महत्व बहुत ज्यादा होता है। अगर आप पूरी निष्ठा और सही सामग्री के साथ पूजा करेंगे तो आपकी इच्छाएं जल्दी पूर्ण होंगी।

सावन में शिवलिंग पूजा क्यों है इतनी महत्वपूर्ण?

पुराणों में बताया गया है कि चारों युगों में शिवलिंग की पूजा से अलग-अलग प्रकार के पुण्य लाभ मिलते हैं।

  • सतयुग में रत्न जड़े शिवलिंग की पूजा श्रेष्ठ मानी जाती थी।
  • त्रेतायुग में सोने के शिवलिंग की पूजा उत्तम मानी गई।
  • द्वापरयुग में पारे के शिवलिंग का महत्व था।
  • परंतु कलियुग में पार्थिव शिवलिंग, यानी मिट्टी से बना शिवलिंग, सबसे उत्तम और शीघ्र फलदायी माना गया है।

कहा जाता है कि पार्थिव शिवलिंग पर जल, दूध और पंचामृत से अभिषेक कर विशेष मंत्रों के साथ प्रार्थना करने से धन, समृद्धि और वैभव में वृद्धि होती है। साथ ही पापों का नाश होता है और मृत्यु भय से मुक्ति मिलती है।

शिवलिंग पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट

यदि आप भी इस सावन में महादेव की आराधना करने जा रहे हैं तो पूजन सामग्री पहले से ही इकट्ठा कर लें। यहां जानें कौन-कौन सी वस्तुएं आपके पूजा थाल में जरूर होनी चाहिए:

गाय का शुद्ध दूध – शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से मन शुद्ध होता है।
गाय का दही और घी – पंचामृत में ये आवश्यक हैं।
शक्कर और शहद – मधुरता और सुख समृद्धि के प्रतीक।
पंचामृत – दूध, दही, घी, शहद, शक्कर मिलाकर बनता है।
नए वस्त्र और जनेऊ (यज्ञोपवीत) – शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए।
बेलपत्र – शिव पूजा में सबसे महत्वपूर्ण पत्ता।
भांग, धतूरा, आक के फूल, शमी के पत्ते – ये सब भगवान शिव को प्रिय हैं।
चंदन और रोली – शिवलिंग पर तिलक करने के लिए।
धूप, दीप और कपूर – आरती और शुद्ध वातावरण के लिए।
मिट्टी – पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए।
मौसमी फल और अक्षत (चावल) – नैवेद्य अर्पित करने हेतु।

 किस प्रकार करें पार्थिव शिवलिंग की पूजा?

अगर आप घर में ही पूजा करना चाहते हैं तो मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग बनाएं और पवित्र जल से स्नान कराकर सबसे पहले गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद दूध, पंचामृत, शहद आदि से स्नान कराकर बेलपत्र, फूल, धतूरा और भांग अर्पित करें। शंखनाद और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। अंत में दीपक और कपूर से आरती करें।

सावन में ये बातें रखें विशेष ध्यान

  • सोमवार के दिन उपवास रखें तो उत्तम होगा।
  • पूजा में चांदी, सोना या पत्थर का शिवलिंग न होने पर मिट्टी का शिवलिंग जरूर बनाएं।
  • बेलपत्र साफ और तीन पत्तों वाला होना चाहिए।
  • अभिषेक का जल उत्तर दिशा की ओर से चढ़ाएं।
  • धतूरा और भांग बिना तो भोलेनाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है, लेकिन इसे सही विधि से चढ़ाएं।

सावन में शिव कृपा से दूर होगा हर संकट

श्रावण मास में जो भी भक्त पूरे विधि-विधान से महादेव का पूजन करता है उसे हर संकट से मुक्ति मिलती है। परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं होती। इसलिए इस सावन आप भी शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, मंत्र जाप करें और भोलेनाथ से आशीर्वाद पाएं।

हर हर महादेव!