मरने के बाद यहां भटकती है आत्मा, यमलोक पहुंचने में ही लग जाता है इतना समय, जानें
- byvarsha
- 10 Jun, 2025

PC: newsnationtv
गरुड़ पुराण में आत्मा के रहस्यों के बारे में भी जानकारी दी गई है। कहा जाता है कि मरने के बाद आत्मा पहले दिन यमलोक चली जाती है और उसके बाद अगले दिन लौट कर अपने घर आती है। उसके बाद मृत्युलोक और यमलोक के बीच भटकती रहती है। आत्मा जब यमलोक जाती है तो उसे अपने कर्मों के हिसाब से ही फल मिलता है। आइए आपको बताते हैं कि आत्मा को यमलोक तक पहुंचने में कितना टाइम लगता है.
गरुड़ पुराण की कथा
गरुड़ पुराण के अनुसार, एक दिन पक्षियों के राजा गरुड़ ने भगवान विष्णु से पूछा, "हे प्रभु, कृपया मुझे बताएं कि मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है?" जवाब में, भगवान विष्णु ने बताया- आत्मा तुरंत यमलोक (मृत्यु के देवता यम का निवास) में प्रवेश नहीं करती है। इसके बजाय, यह 47 दिनों तक भटकती है, इस अवधि के दौरान विभिन्न प्रकार के कष्ट सहती है। इन 47 दिनों के बाद ही आत्मा यमलोक पहुँचती है, जहाँ उसे अपने सांसारिक कर्मों के आधार पर न्याय का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, भगवान विष्णु ने बताया कि जैसे-जैसे मृत्यु निकट आती है, सबसे पहले व्यक्ति अपनी आवाज़ खो देता है। इतना ही नहीं मरने से पहले सभी प्राणी को दिव्य दृष्टि मिलती है. इस दिव्य दृष्टि मिलने के बाद मनुष्य सारे संसार को एक रूप में देखने लगता है. उसकी सारी इन्द्रियां शिथिल हो जाती है
यमदूत क्या करते हैं?
मृत्यु के समय यमलोक से दो यमदूत मनुष्य की आत्मा को लेने आते हैं। यमदूतों को देख कर आत्मा डर से कांपने लगती है। इसके बाद आत्मा शरीर से बाहर निकलती है। जैसे ही आत्मा शरीर से बाहर निकलती है वैसे ही यमदूत आत्मा के गले में रस्सी बांध देते है और उसे लेकर यमलोक चले जाते हैं। अगर मरने वाली आत्मा पवित्र हो तो उसे परमात्मा स्वयं अपने वाहन पर बिठाकर ले जाते हैं। वहीं पापी को गरम हवा और अंधेरे से होकर गुजरना पड़ता है। पापी व्यक्ति को कई तरह की यातनाएं सहनी पड़ती है। फिर उसी दिन आत्मा को आकाश मार्ग से नीचे छोड़ दिया जाता है जहां उसने अपना शरीर त्यागा था। वापस आने के बाद अगर अंतिम संस्कार न हुआ हो तो आत्मा अपने शरीर में घुसने का प्रयास करती है लेकिन यमदूत के पाश से बंधे होने के कारण शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती।
वैतरणी नदी की यात्रा
गरुड़ पुराण के अनुसार 12 दिनों तक आत्मा अपनों के बीच रहती है। आत्मा का पिंडदान होने के बाद यमदूत एक बार फिर से लेने आ जाते हैं। पिंडदान से सूक्ष्म शरीर को चलने की शक्ति मिलती है लेकिन फिर भी यमलोक का सफर आसान नहीं होता। फिर वैतरणी नदी की यात्रा शुरू होती है। अगर मनुष्य ने जीते जी गौदान किया होगा तो उसी गाय की पूंछ पकड़ कर वह वैतरणी नदी को पार करता है। अन्यथा इस नदी को पार करते समय भी पापी जीवात्मा को कई यातनाओं से होकर गुजरना पड़ता है।
47 दिनों तक यहां रहती है आत्मा
वैतरणी नदी से हमेशा आग की लपटें निकलती रहती है। इस नदी से गुजरते वक्त पापी आत्मा को कई प्रकार के खतरनाक जीवों का दंश सहना पड़ता है। पापी जीवात्मा को इस नदी को पार करने में 47 दिन का समय लगता है. इसके बाद जीवात्मा यमदूतों के साथ यमलोक पहुंच जाती है.