8वें वेतन आयोग की मांग: केंद्रीय कर्मचारियों और हर 5 साल में सैलरी रिविजन की जरूरत

केंद्रीय कर्मचारियों और लेबर महासंघ (Confederation of Central Government Employees and Workers) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 8वें वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) के गठन की अपील की है। यह मांग देशभर के लगभग 7 लाख कर्मचारियों और पेंशनर्स की बढ़ती महंगाई और गिरती करेंसी वैल्युएशन को ध्यान में रखते हुए की गई है।

प्रमुख मुद्दे और महासंघ की राय

महासंघ ने कहा है कि डाक, इनकम टैक्स, अकाउंट्स, सर्वेक्षण, जनगणना, सीपीडब्ल्यूडी और सीजीएचएस जैसे विभिन्न विभागों के कर्मचारी महंगाई और सीमित आय के कारण आर्थिक दबाव का सामना कर रहे हैं। महासंघ 130 से अधिक संगठनों का प्रतिनिधित्व करता है, जो इस मांग को बल देने के लिए एकजुट हैं।

सैलरी रिविजन की आवश्यकता

महासंघ के अनुसार, आखिरी बार केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन 1 जनवरी 2016 को संशोधित हुआ था। तब से महंगाई भत्ता (DA) 53% से अधिक हो गया है। कोविड-19 के बाद वस्तुओं की कीमतें और ब्याज दरें बढ़ने से क्रय शक्ति पर बड़ा असर पड़ा है। लगातार बढ़ती महंगाई और आर्थिक बदलावों को देखते हुए सैलरी रिविजन जरूरी है।

हर 5 साल में सैलरी रिविजन का सुझाव

महासंघ का मानना है कि सरकारी सेवाओं को देश की बेहतरीन प्रतिभाओं के लिए आकर्षक बनाना आवश्यक है। इसके लिए हर पांच साल में वेतन रिविजन की प्रक्रिया अनिवार्य की जानी चाहिए।

वेतन आयोग गठन और प्राथमिकता

इतिहास बताता है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट तैयार करने और उसे लागू करने में समय लगता है। 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट तैयार करने में दो साल और इसे लागू करने में छह महीने का समय लगा था। इसलिए अगला सैलरी रिविजन 1 जनवरी 2026 से लागू करने के लिए समय पर प्रक्रिया शुरू करना जरूरी है।

महंगाई से राहत की उम्मीद

महासंघ ने कहा है कि 8वें वेतन आयोग का गठन न केवल कर्मचारियों और पेंशनर्स के जीवन को आर्थिक दबाव से राहत देगा, बल्कि सरकारी योजनाओं और नीतियों को भी अधिक प्रभावी बनाएगा।

 

 

 

 

 

 

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