कर्मचारियों के वेतन में जल्द होगा संशोधन: 10 नहीं, 5 साल में बदलेगा वेतन फॉर्मूला

केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए वेतन संरचना हर 5 साल में संशोधित करने की मांग तेजी से बढ़ रही है। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉइज एंड वर्कर्स के महासचिव एस.बी. यादव ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 8वें वेतन आयोग के गठन की मांग की है।

 

5 साल में वेतन संशोधन की मांग क्यों?

वर्तमान में केंद्र सरकार के कर्मचारियों का वेतन हर 10 साल में संशोधित होता है। हालांकि, महंगाई और जीवन यापन की बढ़ती लागत के कारण 5 साल की अवधि में संशोधन की जरूरत महसूस की जा रही है।

  • महंगाई भत्ता 53% तक पहुंच चुका है, जिससे वास्तविक मजदूरी का मूल्य घट गया है।
  • कोविड-19 के बाद जीवन यापन की लागत में तेज वृद्धि ने इस मुद्दे को और महत्वपूर्ण बना दिया है।

 

अन्य क्षेत्रों का उदाहरण:

अधिकांश सार्वजनिक उपक्रमों और बैंकों में वेतन संशोधन हर 5 साल में होता है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को भी इस मानक पर लाने की आवश्यकता है।

 

कर्मचारियों का योगदान और आर्थिक सुरक्षा:

  • सरकारी कर्मचारियों ने महामारी जैसी कठिन परिस्थितियों में भी अपनी सेवाएं जारी रखीं।
  • लेकिन उनकी क्रय शक्ति में कमी के कारण आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हुआ।

 

सरकार की वित्तीय स्थिति:

भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है।

  • 2027 तक, भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
  • ऐसे में वेतन संशोधन का भार वहन करना सरकार के लिए संभव है।

 

वेतन आयोग का महत्व:

  • पिछला संशोधन 1 जनवरी 2016 से लागू हुआ था, जो 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित था।
  • यदि 8वां वेतन आयोग 2024 में गठित होता है, तो इसे 2026 तक लागू किया जा सकेगा।

 

कॉन्फेडरेशन की प्रमुख मांगें:

  1. वेतन संरचना हर 5 साल में संशोधित हो।
  2. महंगाई और मुद्रास्फीति के अनुसार वेतन को अपडेट किया जाए।
  3. कर्मचारियों को एक स्थायी और सभ्य जीवन स्तर मिले।