Garud Puran: जो लोग करते हैं मासूम जीवों की हत्या उन्हें भोगना पड़ता है ऐसा फल, जानकर ही काँप उठेगी रूह
- byvarsha
- 20 Jun, 2025

pc: prabhatkhabar
सनातन धर्म के महान ग्रंथों में से एक गरुड़ पुराण में जीवन से जुडी तो कई बातें बताई ही गई है साथ ही मृत्यु और उसके बाद की दुनिया को लेकर भी जानकारी दी गई है। गरुड़ पुराण बताता है कि जीवात्मा को उसके कर्मों के अनुसार किस प्रकार के फल भोगने पड़ते हैं। इसके अनुसार जो व्यक्ति बेजुबान जीवों (जैसे गाय, कुत्ता, पक्षी, मछली आदि) को अनावश्यक रूप से कष्ट या मृत्यु देते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद यमलोक में अत्यंत भयानक और पीड़ादायक दंड भुगतना पड़ता है:-
– तामिस्र नरक
जो मनुष्य लोभ या स्वाद के लिए निर्दोष जानवरों की हत्या करता है, मरने के बाद उन्हें तामिस्र नरक में भेजा जाता है। यहां आत्मा को अंधकारमय गुफा में बंद कर, लोहे की छड़ों से लगातार पीटा जाता है। उन्हें किसी तरह की शांति नहीं मिलती और वे ऐसे ही तड़पते रहते हैं।
– काकोलूकीय नरक
इस नरक उन लोगों को रहना पड़ता है जिन्होंने अकारण ही पक्षियों या छोटे जीवों को मारा हो। यहां पर उनके ऊपर कौवे और उल्लू जैसे भयावह पक्षी लगातार हमला करते हैं और शरीर को नोचते रहते हैं।
– कृमिभोज्य नरक
जो लोग जलचरों जैसे मछलियों, मेंढकों आदि को मार डालते है उन्हें इसी तरह के नरक में रहना पड़ता है। उनका शरीर हजारों कीड़ों द्वारा खाया जाता है। उनकी आत्मा यहाँ तड़पती रहती है।
– सूलप्रोत नरक
जो मनुष्य गौहत्या या किसी बेजुबान पालतू जीव की हत्या करता है, उसे सूलप्रोत नरक में भेजा जाता है। वहां उसे लोहे के तीखे शूलों में बार-बार घोंपा जाता है, जिससे आत्मा असहनीय पीड़ा झेलती है.
– महापाचक नरक
यह नरक उन लोगों के लिए आरक्षित है जो जानबूझकर क्रूरता के साथ जीवों को मारते हैं. इस नरक में अग्नि की ज्वालाओं में डाला जाता है, जहाँ आत्मा जलती रहती है पर भस्म नहीं होती. यह दंड चेतावनी है कि प्रकृति और भगवान के बनाए जीवों को पीड़ित करने की कीमत अत्यंत भारी है.