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One Nation One Election: फायदे, नुकसान और राजनीतिक दलों के रुख पर एक नजर
- byTrainee
- 23 Dec, 2024

"One Nation One Election" का मतलब है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराया जाए। इसका उद्देश्य चुनावी खर्च कम करना और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को आसान बनाना है। हालांकि, इसे लागू करने में कई चुनौतियां और मतभेद सामने आते हैं। आइए इस विचार के फायदे, नुकसान, और राजनीतिक पार्टियों की राय को विस्तार से समझें।
One Nation One Election के फायदे
- पैसे और संसाधनों की बचत:
बार-बार चुनाव कराने पर बड़ा खर्च होता है। एक साथ चुनाव होने से सुरक्षा और प्रशासनिक खर्चों में कटौती होगी। - लगातार विकास कार्य:
चुनाव आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य रुक जाते हैं। एक साथ चुनाव से सरकारें बिना रुकावट के पांच साल तक काम कर पाएंगी। - चुनावी थकान से राहत:
बार-बार चुनाव से जनता और नेताओं पर दबाव बढ़ता है। एक साथ चुनाव से यह समस्या कम होगी। - जागरूक मतदाता:
एक साथ चुनाव होने पर जनता बेहतर निर्णय लेकर वोट डाल सकेगी।
One Nation One Election के नुकसान
- प्रशासनिक और तकनीकी चुनौतियां:
इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराना आसान नहीं होगा। इसके लिए बड़े पैमाने पर संसाधनों और प्रबंधन की आवश्यकता होगी। - क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मुद्दों का मिश्रण:
राज्यों और केंद्र के मुद्दे अलग-अलग होते हैं। एक साथ चुनाव से क्षेत्रीय मुद्दे दब सकते हैं। - जवाबदेही पर असर:
बार-बार चुनाव से सरकारें जनता के करीब रहती हैं। लंबे अंतराल पर चुनाव से यह जवाबदेही घट सकती है। - क्षेत्रीय पार्टियों की कमजोरी:
राष्ट्रीय पार्टियों को ज्यादा लाभ होगा, जिससे क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका सीमित हो सकती है।
राजनीतिक दलों की राय
- समर्थन में:
भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस विचार का समर्थन करती है। उनका मानना है कि इससे चुनावी खर्च घटेगा और विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। - विरोध में:
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), समाजवादी पार्टी (SP), और अन्य क्षेत्रीय दलों का तर्क है कि यह व्यावहारिक नहीं है। उनका कहना है कि इससे राज्यों के मुद्दे अनदेखे रह जाएंगे और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचेगा।
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