प्रतापगढ़ गैंगरेप मामला: तीन साल बाद न्याय की घड़ी नजदीक, 7 आरोपियों पर कड़ा फैसला संभव

प्रतापगढ़, राजस्थान—तीन साल पहले धरियावद में हुई विभत्स घटनाओं ने पूरे राजस्थान को झकझोर कर रख दिया था। सात आरोपियों द्वारा मासूम लड़कियों के साथ बार-बार किए गए अत्याचारों के मामले में अब जल्द ही अदालत का फैसला आने वाला है।

कैसे हुआ खुलासा?

यह मामला तब सामने आया जब पुलिस ने लूट की योजना बनाते हुए वजपुरा मार्ग पर तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान आरोपियों के मोबाइल से जो वीडियो बरामद हुए, उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी सिहरने पर मजबूर कर दिया। इन वीडियो में लड़कियां रो-रोकर रहम की भीख मांग रही थीं, लेकिन दरिंदे हंसते रहे और उनके दर्द को अपने मनोरंजन का हिस्सा बना लिया।

कानूनी कार्यवाही और साक्ष्य

घटनाओं के खुलासे के बाद, सातों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से मजबूत पैरवी की गई, और अब मामले में अंतिम बहस के बाद फैसला जल्द आने की उम्मीद है।

पुलिस ने न केवल पीड़िताओं की पहचान की, बल्कि उनका भरोसा जीतकर उन्हें न्याय दिलाने के लिए प्रेरित किया। इस प्रक्रिया में 135 से अधिक दस्तावेज और वीडियो साक्ष्य अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए गए हैं। एफएसएल जांच के जरिए वीडियो और आवाजों का मिलान कराकर आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत जुटाए गए हैं।

आरोपियों पर लगे आरोप और सामाजिक आक्रोश

इस मामले में दीपक (दो आरोपी), उमेश, इरफान, प्रकाश, पुष्कर और जमना शंकर नामक सात लोग शामिल थे। ये पहले से ही लूट, चोरी और अन्य गंभीर अपराधों में शामिल रहे हैं।

घटनाओं के सामने आने के बाद पूरे राज्य में आक्रोश फैल गया था। राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने कड़ी सजा की मांग की थी।

न्याय की उम्मीद

अब जब अदालत का फैसला नजदीक है, समाज की निगाहें इस पर टिकी हैं। पीड़िताओं और उनके परिवारों को न्याय मिलने की उम्मीद है। लोगों की एकमात्र मांग है कि इन दरिंदों को कठोरतम सजा दी जाए ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी घिनौनी हरकत करने की हिम्मत न जुटा सके।

निष्कर्ष

यह मामला केवल अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि ऐसे अपराधियों को पहचानकर समय रहते रोका जाए। अदालत का फैसला केवल इन सात लोगों के लिए नहीं, बल्कि भविष्य में अपराध रोकने की दिशा में भी एक मिसाल बनेगा।

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