One Nation, One Election: लोकसभा में आज पेश होगा एकसमान चुनाव बिल, जानें क्या है प्रस्ताव

"एक राष्ट्र, एक चुनाव" को लेकर संविधान संशोधन बिल 2024 आज लोकसभा में पेश किया जाएगा। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस बिल को पेश करेंगे। इसके बाद वे बिल को संयुक्त संसदीय समिति (Joint Committee) को भेजने की सिफारिश कर सकते हैं ताकि व्यापक चर्चा हो सके।

यह बिल जम्मू-कश्मीर, पुडुचेरी और दिल्ली के केंद्रशासित प्रदेशों में चुनावों को भी लोकसभा और विधानसभा के चुनावों के साथ संरेखित करने का प्रस्ताव रखता है। कैबिनेट ने इस बिल को पिछले सप्ताह मंजूरी दे दी थी।

बिल में क्या है खास?

बिल के अनुसार, यदि लोकसभा या किसी राज्य विधानसभा का कार्यकाल समाप्ति से पहले भंग कर दिया जाता है, तो मध्यावधि चुनाव केवल बाकी बचे कार्यकाल के लिए होंगे।

  • संविधान संशोधन प्रस्ताव:
    • Article 82(A): लोकसभा और सभी विधानसभाओं के एकसमान चुनाव।
    • Article 83, 172 और 327 में संशोधन: संसद को चुनावों से संबंधित प्रावधान बनाने का अधिकार।
  • बिल के प्रावधान “नियुक्त तिथि” से लागू होंगे, जिसकी घोषणा राष्ट्रपति लोकसभा चुनाव के बाद करेंगे।
  • पहले एकसमान चुनाव की प्रक्रिया 2034 से शुरू होगी।

 

बिल का उद्देश्य और कार्यकाल

  • लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होगा, जो "नियुक्त तिथि" से शुरू होगा।
  • विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के साथ समाप्त होगा।
  • यदि विधानसभा या 'अवधि से पहले भंग होती है, तो नए सदन का कार्यकाल केवल बाकी बचे समय के लिए होगा।

 

विपक्ष का विरोध: लोकतंत्र पर खतरा?

बिल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा का समर्थन है, लेकिन विपक्ष इसे लोकतांत्रिक जवाबदेही के खिलाफ बता रहा है।

  • कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, "बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में भेजा जाए। कांग्रेस इसका विरोध करती है।"
  • DMK प्रमुख ने इसे “तानाशाही” करार दिया और कहा कि यह संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाएगा।
  • ममता बनर्जी ने बिल को "तानाशाही थोपने की कोशिश" बताया और इसके खिलाफ विरोध का ऐलान किया।
  • CPI(M) सांसद जॉन ब्रिटास ने इसे देश की संघीय भावना के खिलाफ बताया।

 

सरकार को चाहिए 361 सांसदों का समर्थन

  • लोकसभा में समर्थन: 542 सदस्यों में से 361 सांसदों का समर्थन आवश्यक। NDA के अलावा, YSRCP, BJD और AIADMK जैसी गैर-गठबंधन पार्टियों का समर्थन जरूरी है।
  • राज्यसभा में समर्थन: 154 सांसदों की जरूरत है। NDA के पास 114 सदस्य हैं, जबकि विपक्ष के पास 86 सांसद हैं।

सरकार के लिए यह एक बड़ा राजनीतिक कदम है, लेकिन विपक्ष इसे लोकतंत्र और संघीय ढांचे के लिए खतरा बता रहा है।