Dream11 और My11Circle से कमाई पर टैक्स: जानें नियम, छूट और कैसे बचें अतिरिक्त कर से

IPL का सीजन आते ही क्रिकेट फैंस के साथ-साथ फैंटेसी गेम्स के दीवाने भी एक्टिव हो जाते हैं। Dream11 और My11Circle जैसी फैंटेसी ऐप्स ने लोगों के लिए न सिर्फ मनोरंजन का नया तरीका दिया है, बल्कि कमाई का भी एक शानदार मौका प्रदान किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन प्लेटफॉर्म्स पर कमाई करने पर आपको टैक्स भी देना पड़ता है? अगर नहीं, तो इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि इन ऐप्स से हुई कमाई पर कितना टैक्स लगता है, कौन से नियम लागू होते हैं और आप टैक्स बचाने के लिए क्या कर सकते हैं।

IPL फैंटेसी गेम्स की बढ़ती लोकप्रियता

IPL के दौरान Dream11 और My11Circle जैसे प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स की संख्या में भारी इजाफा होता है। फैंटेसी टीम बनाने का क्रेज इतना बढ़ गया है कि लाखों लोग इन प्लेटफॉर्म्स पर अपनी टीम बनाकर नकद इनाम जीतने की कोशिश करते हैं। छोटे से छोटे मैच से लेकर फाइनल तक हर जगह लोग इन ऐप्स का उपयोग करते हैं।

Dream11 और My11Circle से कमाई पर टैक्स के नियम

फैंटेसी गेम्स से हुई कमाई पर भारत सरकार का पूरा ध्यान है। इनकम टैक्स की धारा 115BB के तहत फैंटेसी ऐप्स पर जीती गई राशि पर 30 प्रतिशत टैक्स लगता है। इसके अलावा, अगर आपकी जीत की राशि 10,000 रुपये से ज्यादा होती है तो धारा 194BA के तहत TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) भी काटा जाता है।

TDS कैसे काम करता है?

अगर आपने Dream11 या My11Circle पर 1 लाख रुपये की राशि जीती है, तो सबसे पहले 30% टैक्स काटा जाएगा। इसके बाद TDS भी लगाया जाएगा। यानी आपको हाथ में केवल 70,000 रुपये ही मिलेंगे।

किन पर लागू होता है टैक्स?

  • कैश प्राइज: जीत की राशि पर सीधा 30% टैक्स लगता है।
  • वाउचर और गिफ्ट्स: इनकी मार्केट वैल्यू पर भी टैक्स लागू होता है।
  • बोनस और रेफरल: ऐप्स के द्वारा दिए गए बोनस और रेफरल इनाम पर भी टैक्स लागू होता है।

टैक्स बचाने के उपाय

अगर आप फैंटेसी गेम्स से बड़ी कमाई करते हैं, तो टैक्स प्लानिंग बेहद जरूरी है। आप अपने टैक्स की देयता को कम करने के लिए सेक्शन 80C के तहत निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा, टैक्स से बचने के लिए सही और समय पर ITR फाइल करना भी आवश्यक है।

Disclaimer

यह जानकारी केवल जागरूकता के उद्देश्य से दी गई है। हम किसी भी प्रकार के ऑनलाइन गेमिंग में निवेश करने की सलाह नहीं देते हैं। अपनी वित्तीय स्थिति और टैक्स प्लानिंग के अनुसार ही निर्णय लें।