भारत में टोल क्रांति: 1 मई से FASTag की जगह सैटेलाइट-आधारित प्रणाली
- byrajasthandesk
- 18 Apr, 2025

नई दिल्ली, 18 अप्रैल 2025 – भारत सरकार 1 मई 2025 से राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा को और सुगम बनाने के लिए FASTag प्रणाली को सैटेलाइट-आधारित टोल संग्रह प्रणाली से बदलने जा रही है। इस पहल का उद्देश्य टोल भुगतान को सरल बनाना, जाम को कम करना और ड्राइविंग अनुभव को बेहतर बनाना है।
क्या है नई सैटेलाइट-आधारित टोल प्रणाली?
यह प्रणाली ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) तकनीक का उपयोग करके वाहनों की आवाजाही पर नजर रखेगी। FASTag प्रणाली के विपरीत, जिसमें टोल प्लाजा पर RFID स्कैनिंग की आवश्यकता होती है, GNSS-आधारित प्रणाली टोल शुल्क को वाहन द्वारा टोल सड़कों पर तय की गई सटीक दूरी के आधार पर गणना करेगी। यह एक अधिक सटीक और न्यायसंगत टोल संग्रह प्रक्रिया सुनिश्चित करता है।
प्रमुख विशेषताएं और लाभ
- दूरी-आधारित शुल्क: टोल शुल्क सीधे यात्रा की गई किलोमीटर पर आधारित होगा, जिससे निष्पक्षता और दक्षता बढ़ेगी।
- टोल प्लाजा की समाप्ति: भौतिक टोल बूथों की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी, जिससे ट्रैफिक जाम और प्रतीक्षा समय कम होगा।
- स्वचालित कटौती: टोल राशि वाहन मालिक के लिंक किए गए बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट से स्वचालित रूप से कट जाएगी, जिससे संपर्क रहित भुगतान अनुभव सुनिश्चित होगा।
- बढ़ी हुई पारदर्शिता: रियल-टाइम ट्रैकिंग और बिलिंग से यात्रियों को उनके टोल खर्चों की विस्तृत जानकारी मिलेगी।
कार्यान्वयन और संक्रमण
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि नई टोल नीति अगले 15 दिनों के भीतर पेश की जाएगी। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने चुनिंदा राजमार्गों पर सफल पायलट परियोजनाएं संचालित की हैं, जिससे देशव्यापी रोलआउट का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
संक्रमण को सुगम बनाने के लिए, वाहनों को GNSS तकनीक के अनुकूल ऑन-बोर्ड यूनिट्स (OBUs) से सुसज्जित किया जाएगा। ये डिवाइस वाहन की आवाजाही को ट्रैक करेंगे और सैटेलाइट सिस्टम के साथ संचार करके टोल शुल्क की सटीक गणना करेंगे।
गोपनीयता और सुरक्षा संबंधी चिंताएं
हालांकि GNSS-आधारित प्रणाली कई लाभ प्रदान करती है, लेकिन डेटा गोपनीयता और सुरक्षा को लेकर चिंताएं उठाई गई हैं। सरकार आश्वस्त करती है कि उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा और अनधिकृत पहुंच को रोकने के लिए कड़े उपाय लागू किए जाएंगे।
सैटेलाइट-आधारित टोल संग्रह प्रणाली की ओर बदलाव भारत के परिवहन बुनियादी ढांचे में एक परिवर्तनकारी कदम है। उन्नत तकनीक का लाभ उठाकर, यह पहल दक्षता बढ़ाने, यात्रा समय कम करने और सभी यात्रियों के लिए एक अधिक न्यायसंगत टोलिंग अनुभव प्रदान करने का वादा करती है।