अकाल मृत्यु हो जाए तो आत्मा को भोगना पड़ता है ये सब, जानकर कांप जाएगी रूह

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मौत एक ऐसा सच है जिसे कोई टाल नहीं सकता है। जो इस दुनिया में आया है उसका अंत भी निश्चित है। लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिनकी अकाल मृत्यु हो जाती है। असमय मृत्यु हो तो आत्मा को कई कष्ट भोगने पड़ते हैं उन्ही के बारे में  बताने जा रहे हैं।

अकाल मृत्यु क्या होती है?
गरुड़ पुराण के अनुसार,  जो लोग भूख से पीड़ित होकर, हत्या किए जाने पर, फांसी लगाकर, जहर खाकर, आग से जलकर, जल में डूबकर, सांप के काटने से, दुर्घटना में, गंभीर बीमारी के कारण और आत्महत्या आदि के जरिए मृत्यु को प्राप्त होते हैं, उसे अकाल मृत्यु की श्रेणी में रखा गया है। इन सभी में से ांतत्य को सबसे बड़ा पाप कहा गया है।  क्योंकि भगवान ने मनुष्य को जन्म दिया है।  ऐसे में मनुष्य खुद आत्महत्या का रास्ता चुनता है तो इसे भगवान के प्रति अपमान माना जाता है।

जानें आत्मा के साथ क्या होता है?
ऐसा माना जाता है कि असमय मृत्यु के बाद आत्मा को तुरंत मोक्ष नहीं मिलता। उस समय व्यक्ति के कुछ अधूरे काम और इच्छाएं रह जाती है जिनके कारण आत्मा पृथ्वी पर ही भटकती रहती है।  असमय मृत्यु के कारण आत्मा में नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है। इसलिए विशेष पूजा पाठ करवाने की जरूरत होती है।

सनातन धर्म के अनुसार, आत्मा अमर होती है और उसकी मृत्यु नहीं होती। एक शरीर छोड़ने के बाद वह अपने कर्मों को भोगने के बाद दूसरा शरीर धारण करती है लेकिन असमय मृत्यु के मामले में आत्मा का यात्रा मार्ग बाधित हो सकता है। उसे तब तक पृथ्वी पर ही भटकना पड़ता है जब तक उसका समय पूरा नहीं हो जाता है।

गरुड़ पुराण कहता है कि असमय मृत्यु वाली आत्माएं अक्सर "प्रेत योनि" में चली जाती हैं। यह स्थिति तब तक बनी रहती है जब तक उनके लिए उचित श्राद्ध कर्म और तर्पण न किया जाए। अगर आत्मा की कोई इच्छाएं अधूरी रह जाती है तो उसे नया जन्म मिलने में समय लगता है। मोक्ष प्राप्ति के लिए आत्मा को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है.