Lateral Entry: मोदी सरकार ने वापस लिया लैटरल एंट्री का फैसला, विपक्ष के विरोध के आगे होना पड़ा....

इंटरनेट डेस्क। पिछले कुछ दिनों से लैटरल एंट्री पर विवाद छिड़ा है और इसकों लेकर विपक्ष भी मजबूती के साथ में अड़ा है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों में लैटरल एंट्री के जरिए 45 स्पेशलिस्ट नियुक्त किए जाने का फैसला वापस ले लिया गया है। केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार लैटरल एंट्री विज्ञापन रद्द करने के लिए संघ लोक सेवा आयोग के चेयरमैन को पत्र लिखा है। 

यूपीएससी ने जारी किया था विज्ञापन
मीडिया रिपोटर्स की माने तो यूपीएससी ने लैटरल एंट्री के जरिए अधिकारियों को नियुक्त किए जाने का विज्ञापन जारी किया था, जिसे अब रद्द कर दिया गया है। वहीं, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए लैटरल एंट्री के जरिये नियुक्ति में आरक्षण के सिद्धांत को लागू करने का फैसला किया है। बता दें कि लैटरल एंट्री को लेकर यूपीएससी का विज्ञापन आने के बाद  विपक्षी दल हमलावर थे, वहीं केंद्र सरकार के सहयोगी दलों ने भी इस माध्यम से सीधी भर्ती का विरोध किया था।

क्या था पूरा विवाद?
यूपीएससी ने केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों में जॉइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी के प्रमुख पदों पर श्लैटरल एंट्री के जरिए 45 स्पेशलिस्ट नियुक्त करने के लिए 17 अगस्त 2024 को विज्ञापन जारी किया था, जिसके बाद से विवाद शुरू हो गया। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने इस फैसले को एससी, एसटी और ओबीसी के खिलाफ बताया और केंद्र से इस फैसले को वापस लेने की मांग की। वहीं सरकार में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान ने किसी भी सरकारी भर्ती में आरक्षण को जरूरी बताया था। जेडीयू ने भी लैटरल एंट्री के फैसले पर सवाल उठाए थे।

pc- aaj tak