Offbeat: इस राजा ने नहीं देखा होता गंगा का ये अंग तो नहीं होता महाभारत का युद्ध, ब्रह्मा जी के एक श्राप ने बदल दिया पूरा.....
- byShiv
- 18 Nov, 2024

इंटरनेट डेस्क। महाभारत का यु़द्ध तो हर किसी को याद हैं और इसके क्या कारण रहे इसके बारे में भी आपको पता है। लेकिन सब इसके अलग अलग तर्क देते है। इसमें हर पात्र की कहानी में गहरे रहस्यों और घटनाओं की परतें हैं। वैसे मीडिया की जो रिपोटर्स हैं इनमें से एक प्रमुख और दिलचस्प घटना है, राजा शांतनु और देवी गंगा से जुड़ी हुई, और इसके पीछे एक श्राप की वजह से महाभारत की घटनाएँ घटित हुईं।
कैसे एक श्राप बना कारण
महाभिष, जो एक महान और पुण्यात्मा राजा थे, अपने जीवन में इतने अच्छे कर्म किए थे कि वे स्वर्ग में इंद्र के साथ रहने गए। वहां उन्होंने अप्सराओं के संग नृत्य किया और मदिरा का सेवन किया, साथ ही इच्छापूर्ति करने वाले कल्पतरु वृक्ष से हर सुख-सुविधा प्राप्त की। एक दिन जब महाभिष ब्रह्मा जी से मिलने गए, तो वहां देवी गंगा भी उपस्थित थीं। तभी तेज़ हवा चली और देवी गंगा का पल्लू उड़ गया। सभी देवता और ऋषि अपनी नज़रों को फेरते हैं, लेकिन महाभिष खुद को रोक नहीं पाए और उन्होंने गंगा के स्तनों को देख लिया। देवी गंगा भी इस दृश्य से मोहित हो गईं और उन्होंने महाभिष की ओर देखा। यह दृश्य ब्रह्मा जी के लिए असहनीय था, और वे गुस्से में आ गए। उन्होंने महाभिष और देवी गंगा को श्राप दिया।
क्या श्राप दिया
ब्रह्मा ने महाभिष को श्राप दिया कि वे पृथ्वी पर लौटेंगे और मानव रूप में जीवन बिताएंगे। और गंगा को श्राप दिया कि वह महाभिष के साथ पृथ्वी पर आकर उनका दिल तोड़ेंगी। महाभिष ने ब्रह्मा के श्राप को स्वीकार किया और पृथ्वी पर लौट आए। वे हस्तिनापुर के राजा शांतनु के रूप में जन्मे। महाभिष के लिए यह एक प्रकार का दंड था, क्योंकि उन्हें पृथ्वी पर आकर गंगा से मिलकर अपना दिल टूटते देखना था। राजा शांतनु ने गंगा को देखा और उनकी सुंदरता से मोहित हो गए। गंगा ने शांतनु से विवाह करने की इच्छा जताई, लेकिन गंगा ने राजा शांतनु के सामने एक शर्त रखी “मैं तुम्हारे साथ विवाह करूंगी, लेकिन मेरी शर्त यह है कि हमारे सातों बच्चों को मैं बहा दूंगी। तुम मुझे कोई रोक-टोक नहीं कर पाओगे। राजा शांतनु ने गंगा से विवाह कर लिया, छह बच्चों को बहा देने के बाद सातवें बच्चे के साथ शांतनु का धैर्य टूट गया।
भीष्म का जन्म
गंगा ने राजा शांतनु से शर्त के अनुसार सातों बच्चों को बहा दिया, लेकिन आठवें बच्चे भीष्म को शांतनु ने बचा लिया। गंगा ने भीष्म को शांतनु के पास छोड़ दिया और स्वयं चली गईं। भीष्म का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वे गंगा के द्वारा छोड़ने के बाद शांतनु के पास रहे। यह घटना महाभारत की शुरुआत की कड़ी बन गई और इसने महाभारत के युद्ध की नींव रखी। भीष्म का जन्म, उनका संकल्प, और उनका जीवन बाद में महाभारत की प्रमुख घटनाओं से जुड़ा रहा, और महाभारत के युद्ध की दिशा तय करने में उनकी भूमिका अहम रही।
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