Rajasthan Politics: लोगाें की नाराजगी के बीच सीएम भजनलाल ने बचा लिए सालाना 9 हजार करोड़ रुपए, जाने कैसे

इंटरनेट डेस्क। राजस्थान की भजनलाल सरकार ने गहलोत सरकार के समय बने नए जिलों में से 9 जिलों को समाप्त कर दिया है। इन जिलों के समाप्त होने के साथ ही अब विरोध के स्वर भी उठने लगे है। ऐसे में 9 जिलों को समाप्त कर 12 जिलों और 3 संभागों का पुनर्गठन किया गया है। इसके पीछे उद्देश्य प्रशासनिक सुगमता और आर्थिक बचत को प्राथमिकता देना है। जिलों को कम करने के फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी के तमाम बड़े नेता भारतीय जनता पार्टी को घेर रहे हैं। इतना ही नहीं खुद भाजपा के लोग भी सरकार के खिलाफ हो रहे हैं।

बचेंगे 9 हजार करोड़ रुपए
मीडिया रिपोटर्स की तो सरकार की पड़ताल में पाया गया कि 9 जिलों को समाप्त करने से सालाना करीब 9 हजार करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। जानकारी के अनुसार प्रत्येक जिले पर औसतन सालाना एक हजार करोड़ रुपये खर्च होते हैं। पुनर्गठन के बाद प्रशासनिक भार कम होगा और इन जिलों में जिला स्तरीय सुविधाएं अन्य विकल्पों से प्रदान की जाएंगी। खुद अशोक गहलोत ने जिलों का गठन करते समय कहा था कि हर जिले को पूरी तरह से सुव्यवस्थित करने में करीब 2000 करोड रुपए का अतिरिक्त भार आएगा।

क्यों लिया सरकार ने ये फैसला
मीडिया रिपोटर्स की माने तो जिलों के पुनर्गठन का मुख्य उद्देश्य प्रशासनिक सुधार और विकास की रफ्तार तेज करना है। अधिकारियों का कहना है कि इन जिलों में अतिरिक्त जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक कार्यालय खोलकर स्थानीय प्रशासन को मजबूत किया जाएगा। इससे न केवल संसाधनों की बचत होगी, बल्कि आम जनता को भी सुगम सेवाएं मिलेंगी। 

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