Rajasthan Politics: सतीश पूनिया को मिली राजनीतिक नियुक्ति, लेकिन राजेंद्र राठौड़ का भविष्य कौन करेगा तय, मोदी, नड्डा या फिर शाह...

इंटरनेट डेस्क। राजस्थान में लोकसभा चुनाव में बीजेपी 11 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा हैं और वो भी तब जब प्रदेश में भाजपा की सरकार हैं और मोदी का 10 सालों से रूतबा कायम है। ऐसी स्थिति में भाजपा में सियासी हलचल भी मची हुई है। बीजेपी का टारगेट अब पांच विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर टिका हुआ है। अगर इन चुनावों में पार्टी को पांच सीटों में से कुछ हारनी पड़ी तो ये बड़ा मुश्किल समय होगा। वहीं बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को हरियाणा का प्रभारी बना दिया गया है। राजनीतिक जानकार इसे पूनिया को राजस्थान की राजनीति से दूर करने का मतलब निकाल रहे हैं। 

हारे थे विधानसभा चुनाव
बता दें की सतीश पूनिया चुनावों से आठ महीने पहले ही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के पद से हटाए गए थे और उसके बाद उन्हें उनके ही विधानसभा क्षेत्र आमेर से टिकट दिया गया था, लेकिन जीत नहीं सके। उसके बाद वो नाराज भी दिखे और राजनीति से कुछ समय के लिए दूर रहने की बात भी कर दी थी। लेकिन लोकसभा चुनावों में पार्टी ने उन्हें हरियाणा में जिम्मेदारी दे दी थी और अब तो प्रभारी ही बना दिया है।

राजेंद्र राठौड़ भी हारे थे चुनाव
वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ भी विधानसभा का चुनाव तारा नगर से हारे और उसके लोकसभा चुनावों में उन्हें चूरू की जिम्मेदारी दी गई तो वो उसमें भी असफल हो गए। ऐसे में सियासी चर्चा बनी हुई है की राठौड़ का राजनीतिक भविष्य और अगली भूमिका क्या होगी? इसको लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। सियासत में सवाल घूम रहा है कि पूनिया को हरियाणा का प्रदेश प्रभावी बनाया, लेकिन विधानसभा चुनाव हारने के बाद राठौड़ का राजनीतिक वनवास कब समाप्त होगा?

पूनिया के बाद राठौड़ का लग सकता हैं नंबर
बता दें कि राजस्थान बीजेपी के दोनों दिग्गज नेता सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ विधानसभा चुनाव हार गए थे। इसके बाद दोनों नेताओं के सियासी भविष्य को लेकर काफी सवाल चर्चाएं हो रही थी। इस बीच राठौड़ और पूनिया दोनों बीते दिनों दिल्ली में पार्टी हाई कमान के पास अचानक मुलाकात करने पहुंचे। इसको लेकर सियासत में जमकर हलचल मची। राजनीतिक जानकार दोनों की मुलाकात को लेकर उनकी अगली भूमिका के कयास लगाने लग गए। अब पूनिया को तो जिममेदारी मिल गई, लेकिन राजेंद्र राठौड़ का इंतजार बढ़ता ही जार रहा है। 

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