"लड़कें की पतलून की जिप खोलना क्या है यौन हमला? न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला के फैसलों पर फिर से उठे सवाल"

पूर्व जज पुष्पा गनेडीवाला एक बार फिर सुर्खियों में हैं, और इस बार कारण है उनका विवादास्पद फैसला। बम्बई उच्च न्यायालय ने उनके एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के समान पेंशन की हकदार हैं।

गनेडीवाला के फैसले ने काफी विवाद खड़ा किया था, खासकर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) को लेकर। उन्होंने कई मामलों में यह माना था कि यदि यौन संबंध बनाने के इरादे से त्वचा से त्वचा का संपर्क होता है, तो वह यौन हमला माना जाएगा, लेकिन नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना या किसी लड़के की पतलून की जिप खोलना इसे यौन हमला नहीं मानते थे। इस फैसले के बाद उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।

2022 में सेवानिवृत्त होने के बाद, गनेडीवाला ने अपनी पेंशन के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने फैसला सुनाया और उन्हें पेंशन का हकदार करार दिया। इस फैसले के बाद फिर से उनकी न्यायिक व्याख्याओं को लेकर चर्चा हो रही है।

यह मामला फिर से बताता है कि न्यायपालिका में हर निर्णय की अपनी अहमियत और परिणाम होते हैं, और कभी-कभी वे समाज में बहस का कारण भी बनते हैं।