Kumbh 2025: महिला नागा साधु भी रहती हैं निर्वस्त्र! कठोर तपस्या और त्याग को देखकर आप भी रह जाएंगे हैरान

इंटरनेट डेस्क। अगले साल यूपी के प्रयागराज में कुंभ का स्नान होगा और आपको यहां हजारों लाखों की संख्या में नागा साधु दिखाई देंगे। ये बड़ी कड़ी तपस्या से गुजरने के बाद ही नागा बन पाते है। सनातन धर्म में नागा साधुओं की परंपरा बहुत प्राचीन है। उनका नग्न होना एक गहरी आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक प्रक्रिया है। यह उनके त्याग का सबसे बड़ा प्रतीक है जो उन्हें सांसारिक बंधनों से मुक्त कराता है। 

रहते हैं नग्न
नागा साधुओं का मानना है कि वे भगवान की संतान हैं और उन्हें किसी अन्य आवरण या सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है। उनका नग्न रहना इस बात का सूचक है कि वे केवल ईश्वर पर निर्भर हैं। नग्न रहकर नागा साधु अपनी कठोर तपस्या और त्याग को व्यक्त करते हैं। नग्न होकर नागा साधु समाज के नियमों और मान्यताओं को भी चुनौती देते हैं, जिससे पता चलता है कि वे सांसारिक भय, शर्म या लज्जा से मुक्त हो गए हैं।

महिला नागा साधु भी करती हैं कठोर तपस्या
नागा साधुओं की तरह महिला नागा साध्वियां भी कठोर तपस्या और त्याग के मार्ग पर चलती हैं। हालाँकि, उनकी प्रथा और जीवनशैली में कुछ विशेष नियम और परंपराएँ हैं। महिला नागा साधुओं को भी पुरुष नागा साधुओं की तरह कठोर दीक्षा प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। दीक्षा के समय वह सांसारिक जीवन के सभी बंधनों और रिश्तों का त्याग कर देती है। उन्हें सांसारिक वस्त्र और आभूषण भी त्यागने पड़ते हैं। वह केवल एक साधारण भगवा पोशाक पहनती हैं। महिला नागा साध्वियों के लिए ब्रह्मचर्य का कठोर पालन अनिवार्य है। वह अपना जीवन आध्यात्मिक अभ्यास, तपस्या और ध्यान के लिए समर्पित करती है।

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