चैत्र नवरात्रि 2024: कात्यायनी को समर्पित नवरात्रि का छठा दिन, मनोकामना पूर्ति के लिए इस मंत्र से करें पूजा साधना

चैत्र नवरात्रि 2024: नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है।

चैत्र नवरात्रि 2024: नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है। बता दें कि चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2024 से शुरू हो गई है और देशभर में भक्ति और आराधना का पर्व नवरात्रि मनाया जा रहा है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। 9 अप्रैल को घटस्थापना के साथ ही नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा और पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की गई. अब 14 अप्रैल यानी रविवार को नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी. मां कात्यायनी का पूजन मंत्र है-

या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

माँ कात्यायनी का स्वरूप

माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य एवं दिव्य है तथा इनका वर्ण उज्जवल है। माता कात्यायनी की सवारी सिंह है। उनकी चार भुजाएं हैं, जिसके कारण उन्हें चतुर्भुजा देवी भी कहा जाता है। मां कात्यायनी अपने प्रत्येक हाथ में तलवार, कमल, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण करती हैं। उनकी पूजा करने से रोग, शोक, पीड़ा और भय दूर हो जाते हैं और जन्मों-जन्मों का संताप दूर हो जाता है। साथ ही इनकी पूजा करने से शीघ्र विवाह की संभावना बनती है।

माता कात्यायी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार कात्य गोत्र में कात्यायन नाम के एक विश्वविख्यात ऋषि थे। उनकी कोई बेटी नहीं थी. महर्षि ने अपनी पुत्री की इच्छा से भगवती जगदम्बा की आराधना की तथा कठोर तपस्या की। महर्षि की कठोर तपस्या से मां जगदंबा प्रसन्न हुईं और उन्होंने महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया। यह देवी माँ कात्यायनी के नाम से विख्यात हुईं। कहा जाता है कि महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्मी माता कात्यायन की अत्यंत गुणवान पुत्री थीं। सारी दुनिया में ऐसी गुणी, सुन्दर और बुद्धिमान लड़की न थी।

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